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वो चांदनी रातें

मुसलसल होती थी हमारी बातें,
याद  आती  है  वो चांदनी रातें।

अंधेरी गलियों  में  तेरा इंतेज़ार,
कितनी हँसीं  थी वो मुलाकातें।

वो  साथ  बैठ चाँद को ताकना,
वो  ठंडी  हवा  की   सरसरहटें।

टूटते  तारों से तेरा साथ माँगना,
अचानक आती पैरों की आहटें।

तेरा  मेरे  कांधे  पर  सर रखना,
वो  तेरी  हँसी  मजाक सरारतें।

"निक्क" कितनी  दिलकश  थी,
वो  चांदनी रातें वो चांदनी रातें।

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9 Comments

Sachin dev

10-Nov-2022 04:47 PM

Superb 👌👌

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Abhinav ji

10-Nov-2022 07:51 AM

Very nice👍

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nikksinghnikhil

10-Nov-2022 08:43 AM

Thank you

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बहुत ही सुंदर और शानदार शब्द संयोजन

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nikksinghnikhil

10-Nov-2022 08:43 AM

जी धन्यवाद

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